SlideShare uma empresa Scribd logo
1 de 18
समास   समास  का तात्पर्य है ‘संक्षिप्तीकरण’।
दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं।  जैसे  - ‘ रसोई के लिए घर’  jlksbZ ?kj
गिरह को काटने वाला मन से चाहा देश से निकाला संदेह के बिना mi;qZDr 'kCnksa ls ,d uohu lkFkZd 'kCn cukvks fxjgdV eupkgk ns'kfudkyk fuLlansg
समासिक शब्द समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न  ( परसर्ग )  लुप्त हो जाते हैं fxjgdV eupkgk ns'kfudkyk fuLlansg
सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना समास - विग्रह कहलाता है। जैसे - राजपुत्र - राजा का पुत्र।
पूर्वपद और उत्तरपद समास में दो पद  ( शब्द )  होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। जैसे - गंगाजल। इसमें गंगा पूर्वपद और जल उत्तरपद है।
समास के भेद अव्ययीभाव समास तत्पुरुष समास द्वन्द्व समास बहुव्रीहि समास जिस समास का पहला पद प्रधान हो और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे  -  यथामति  ( मति के अनुसार ),  आमरण  ( मृत्यु कर )  इनमें यथा और आ अव्यय हैं। तत्पुरुष समास   -  जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे  -  तुलसीदासकृत  =  तुलसी द्वारा कृत  ( रचित ) जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’ ,  अथवा , ‘ या’ ,  एवं लगता है ,  वह द्वंद्व समास कहलाता है। जिस समास के दोनों पद अप्रधान हों और समस्तपद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
अव्ययीभाव समास अव्ययीभाव समास की पहचान   इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अर्थात समास होने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता।
आजीवन  -  जीवन - भर  यथासामर्थ्य  -  सामर्थ्य के अनुसार  यथाशक्ति  -  शक्ति के अनुसार  यथाविधि विधि के अनुसार  यथाक्रम  -  क्रम के अनुसार  भरपेट   -   पेट भरकर  हररोज़  -  रोज़ - रोज़  हाथोंहाथ  -  हाथ ही हाथ में  रातोंरात  -  रात ही रात में  प्रतिदिन  -  प्रत्येक दिन  बेशक  -  शक के बिना  निडर  -  डर के बिना  निस्संदेह  -  संदेह के बिना  प्रतिवर्ष  -  हर वर्ष  mnkgj.k
तत्पुरुष समास के प्रकार ज्ञातव्य -  विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है। कर्म तत्पुरुष  गिरहकट गिरह को काटने वाला करण तत्पुरुष   मनचाहा मन  से चाहा संप्रदान  तत्पुरुष  रसोईघर  रसोई के लिए घर अपादान   तत्पुरुष देशनिकाला  देश से निकाला संबंध तत्पुरुष  गंगाजल गंगा का जल अधिकरण तत्पुरुष नगरवास  नगर में  वास
तत्पुरुष समास के प्रकार नञ तत्पुरुष समास जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। समस्त पद समास - विग्रह समस्त पद समास - विग्रह असभ्य अनादि अनंत न अंत न सभ्य  न आदि असंभव न संभव ftldk mRrj in iz/kku gks
कर्मधारय समास जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और  पूर्व i द  व उत्तरपद में विशेषण - विशेष्य अथवा उपमान - उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है। समस्त पद  समास - विग्रह  समस्त पद   समास - विग्रह देहलता देह रूपी लता  दहीबड़ा दही में डूबा बड़ा नीलकमल सज्जन नीला कमल पीतांबर पीला अंबर  ( वस्त्र ) सत्  ( अच्छा )  जन नरसिंह नरों में सिंह के समान
द्विगु समास जिस समास का  पूर्वपद संख्यावाचक  विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है। समस्त पद समास - विग्रह अठन्नी आठ आनों का समूह त्रिलोक तीनों लोकों का समाहार नवग्रह नौ ग्रहों का   समूह नवरात्र नौ रात्रियों का समूह
दोपहर चौमासा  शताब्दी  त्रयम्बकेश्वर  दो पहरों का समाहार  चार मासों का समूह  सौ अब्दो  ( वर्षों )  का समूह तीन लोकों का ईश्वर  vH;kl iz'u
द्वन्द्व समास जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’ ,  अथवा , ‘ या’ ,  एवं लगता है ,  वह द्वंद्व समास कहलाता है। समस्त पद समास - विग्रह पाप - पुण्य पाप और पुण्य सीता - राम सीता और राम ऊँच - नीच ऊँच और नीच अन्न - जल अन्न और जल खरा - खोटा खरा और खोटा राधा - कृष्ण राधा और कृष्ण
बहुव्रीहि समास जिस समास के दोनों पद अप्रधान हों और समस्तपद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। समस्त पद समास - विग्रह दशानन दश है आनन  ( मुख )  जिसके अर्थात् रावण नीलकंठ नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव सुलोचना सुंदर है लोचन जिसके अर्थात् मेघनाद की पत्नी पीतांबर पीले है अम्बर  ( वस्त्र )  जिसके अर्थात् श्रीकृष्ण लंबोदर लंबा है उदर  ( पेट )  जिसका अर्थात् गणेशजी दुरात्मा बुरी आत्मा वाला  ( कोई दुष्ट ) श्वेतांबर श्वेत है जिसके अंबर  ( वस्त्र )  अर्थात् सरस्वती जी
कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर कर्मधारय में समस्त - पद का एक पद दूसरे का विशेषण होता है। इसमें शब्दार्थ प्रधान होता है। जैसे  -  नीलकंठ  =  नीला कंठ। बहुव्रीहि में समस्त पद के दोनों पदों में विशेषण - विशेष्य का संबंध नहीं होता अपितु वह समस्त पद ही किसी अन्य संज्ञादि का विशेषण होता है। इसके साथ ही शब्दार्थ गौण होता है और कोई भिन्नार्थ ही प्रधान हो जाता है। जैसे  -  नील + कंठ  =  नीला है कंठ जिसका अर्थात  शिव ।
संधि और समास में अंतर संधि वर्णों में होती है। इसमें विभक्ति या शब्द का लोप नहीं होता है। जैसे  -  देव + आलय  =  देवालय। समास दो पदों में होता है। समास होने पर विभक्ति या शब्दों का लोप भी हो जाता है। जैसे  -  माता - पिता  =  माता और पिता।

Mais conteúdo relacionado

Mais procurados

Sanskrit presention
Sanskrit presention Sanskrit presention
Sanskrit presention Vaibhav Cruza
 
Visheshan in Hindi PPT
 Visheshan in Hindi PPT Visheshan in Hindi PPT
Visheshan in Hindi PPTRashmi Patel
 
Hindi पत्र लेखन
Hindi पत्र लेखनHindi पत्र लेखन
Hindi पत्र लेखनBISHMAY SAHOO
 
सर्वनाम
सर्वनामसर्वनाम
सर्वनामKanishk Singh
 
Shabd vichar
Shabd vicharShabd vichar
Shabd vicharamrit1489
 
सर्वनाम P.P.T.pptx
सर्वनाम P.P.T.pptxसर्वनाम P.P.T.pptx
सर्वनाम P.P.T.pptxTARUNASHARMA57
 
समास - hindi
समास - hindiसमास - hindi
समास - hindiAparna
 
हिंदी वर्णमाला
हिंदी वर्णमाला हिंदी वर्णमाला
हिंदी वर्णमाला Mr. Yogesh Mhaske
 
Viram chinh 13
Viram chinh 13Viram chinh 13
Viram chinh 13navya2106
 
उपसर्ग और प्रत्यय Ppt
उपसर्ग और प्रत्यय Pptउपसर्ग और प्रत्यय Ppt
उपसर्ग और प्रत्यय PptRutu Belgaonkar
 
हिंदी सर्वनाम
हिंदी सर्वनामहिंदी सर्वनाम
हिंदी सर्वनामashishkv22
 
Vakya bhed hindi
Vakya bhed hindiVakya bhed hindi
Vakya bhed hindiswatiwaje
 
Sandhi in sanskrit for 10th
Sandhi in sanskrit for 10thSandhi in sanskrit for 10th
Sandhi in sanskrit for 10thDigvijay Raj
 

Mais procurados (20)

Hindi grammar
Hindi grammarHindi grammar
Hindi grammar
 
कारक(karak)
कारक(karak)कारक(karak)
कारक(karak)
 
Sanskrit presention
Sanskrit presention Sanskrit presention
Sanskrit presention
 
Visheshan in Hindi PPT
 Visheshan in Hindi PPT Visheshan in Hindi PPT
Visheshan in Hindi PPT
 
Hindi पत्र लेखन
Hindi पत्र लेखनHindi पत्र लेखन
Hindi पत्र लेखन
 
सर्वनाम
सर्वनामसर्वनाम
सर्वनाम
 
सर्वनाम
सर्वनामसर्वनाम
सर्वनाम
 
Shabd vichar
Shabd vicharShabd vichar
Shabd vichar
 
सर्वनाम P.P.T.pptx
सर्वनाम P.P.T.pptxसर्वनाम P.P.T.pptx
सर्वनाम P.P.T.pptx
 
समास - hindi
समास - hindiसमास - hindi
समास - hindi
 
हिंदी वर्णमाला
हिंदी वर्णमाला हिंदी वर्णमाला
हिंदी वर्णमाला
 
Hindi avyay ppt
Hindi avyay pptHindi avyay ppt
Hindi avyay ppt
 
Viram chinh 13
Viram chinh 13Viram chinh 13
Viram chinh 13
 
उपसर्ग और प्रत्यय Ppt
उपसर्ग और प्रत्यय Pptउपसर्ग और प्रत्यय Ppt
उपसर्ग और प्रत्यय Ppt
 
समास
समाससमास
समास
 
upsarg
upsargupsarg
upsarg
 
Ppt
PptPpt
Ppt
 
हिंदी सर्वनाम
हिंदी सर्वनामहिंदी सर्वनाम
हिंदी सर्वनाम
 
Vakya bhed hindi
Vakya bhed hindiVakya bhed hindi
Vakya bhed hindi
 
Sandhi in sanskrit for 10th
Sandhi in sanskrit for 10thSandhi in sanskrit for 10th
Sandhi in sanskrit for 10th
 

Semelhante a Samas hindi

random-150623121032-lva1-app6892.pyudfet
random-150623121032-lva1-app6892.pyudfetrandom-150623121032-lva1-app6892.pyudfet
random-150623121032-lva1-app6892.pyudfetseemapathak103
 
FINAL PPT SAMAS.pptx 2021-2022.pptx
FINAL PPT SAMAS.pptx 2021-2022.pptxFINAL PPT SAMAS.pptx 2021-2022.pptx
FINAL PPT SAMAS.pptx 2021-2022.pptxsarthak937441
 
Varun presantation
Varun presantationVarun presantation
Varun presantationvarunkdudu
 
हिंदी व्याकरण
हिंदी व्याकरणहिंदी व्याकरण
हिंदी व्याकरणAdvetya Pillai
 
समास पीपीटी 2.pptx
समास पीपीटी 2.pptxसमास पीपीटी 2.pptx
समास पीपीटी 2.pptxkrissh304
 
Sanskrit presention by saswat abhigyanam
Sanskrit presention by saswat abhigyanamSanskrit presention by saswat abhigyanam
Sanskrit presention by saswat abhigyanamsaswat abhigyanam
 
तत्पुरुष (विभक्ति, उपपद ऽ नञ्)
तत्पुरुष (विभक्ति, उपपद ऽ नञ्)तत्पुरुष (विभक्ति, उपपद ऽ नञ्)
तत्पुरुष (विभक्ति, उपपद ऽ नञ्)Dev Chauhan
 
Hindi file grammar
Hindi file grammarHindi file grammar
Hindi file grammarshabanappt
 
Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)
Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)
Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)Neelam Sharma
 
Prashant tiwari on hindi ras ppt.....
Prashant tiwari on hindi ras ppt.....Prashant tiwari on hindi ras ppt.....
Prashant tiwari on hindi ras ppt.....Prashant tiwari
 
hindi holiday homework ppt^.^.pptx
hindi holiday homework ppt^.^.pptxhindi holiday homework ppt^.^.pptx
hindi holiday homework ppt^.^.pptxAravSingh24
 
sangya-140117084944-phpapp01 (1).pdf
sangya-140117084944-phpapp01 (1).pdfsangya-140117084944-phpapp01 (1).pdf
sangya-140117084944-phpapp01 (1).pdfsaurabhSahrawat
 
कालसर्पदोष शांति पूजा
कालसर्पदोष शांति पूजाकालसर्पदोष शांति पूजा
कालसर्पदोष शांति पूजाpurohitsangh guruji
 

Semelhante a Samas hindi (20)

समास
समाससमास
समास
 
Samas
SamasSamas
Samas
 
random-150623121032-lva1-app6892.pyudfet
random-150623121032-lva1-app6892.pyudfetrandom-150623121032-lva1-app6892.pyudfet
random-150623121032-lva1-app6892.pyudfet
 
FINAL PPT SAMAS.pptx 2021-2022.pptx
FINAL PPT SAMAS.pptx 2021-2022.pptxFINAL PPT SAMAS.pptx 2021-2022.pptx
FINAL PPT SAMAS.pptx 2021-2022.pptx
 
Varun presantation
Varun presantationVarun presantation
Varun presantation
 
हिंदी व्याकरण
हिंदी व्याकरणहिंदी व्याकरण
हिंदी व्याकरण
 
SAMAS PRAKARAN ( BY DR. KANAK LATA)
 SAMAS  PRAKARAN ( BY DR. KANAK LATA) SAMAS  PRAKARAN ( BY DR. KANAK LATA)
SAMAS PRAKARAN ( BY DR. KANAK LATA)
 
समास पीपीटी 2.pptx
समास पीपीटी 2.pptxसमास पीपीटी 2.pptx
समास पीपीटी 2.pptx
 
Sanskrit presention by saswat abhigyanam
Sanskrit presention by saswat abhigyanamSanskrit presention by saswat abhigyanam
Sanskrit presention by saswat abhigyanam
 
samas (2).ppt
samas (2).pptsamas (2).ppt
samas (2).ppt
 
तत्पुरुष (विभक्ति, उपपद ऽ नञ्)
तत्पुरुष (विभक्ति, उपपद ऽ नञ्)तत्पुरुष (विभक्ति, उपपद ऽ नञ्)
तत्पुरुष (विभक्ति, उपपद ऽ नञ्)
 
Hindi file grammar
Hindi file grammarHindi file grammar
Hindi file grammar
 
Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)
Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)
Kavya gun ( kavyapraksh 8 ullas)
 
Days of the Week.pptx
Days of the Week.pptxDays of the Week.pptx
Days of the Week.pptx
 
Prashant tiwari on hindi ras ppt.....
Prashant tiwari on hindi ras ppt.....Prashant tiwari on hindi ras ppt.....
Prashant tiwari on hindi ras ppt.....
 
Aalankar
Aalankar Aalankar
Aalankar
 
hindi holiday homework ppt^.^.pptx
hindi holiday homework ppt^.^.pptxhindi holiday homework ppt^.^.pptx
hindi holiday homework ppt^.^.pptx
 
sangya-140117084944-phpapp01 (1).pdf
sangya-140117084944-phpapp01 (1).pdfsangya-140117084944-phpapp01 (1).pdf
sangya-140117084944-phpapp01 (1).pdf
 
कालसर्पदोष शांति पूजा
कालसर्पदोष शांति पूजाकालसर्पदोष शांति पूजा
कालसर्पदोष शांति पूजा
 
Ras in hindi PPT
Ras in hindi PPTRas in hindi PPT
Ras in hindi PPT
 

Samas hindi

  • 1. समास समास का तात्पर्य है ‘संक्षिप्तीकरण’।
  • 2. दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। जैसे - ‘ रसोई के लिए घर’ jlksbZ ?kj
  • 3. गिरह को काटने वाला मन से चाहा देश से निकाला संदेह के बिना mi;qZDr 'kCnksa ls ,d uohu lkFkZd 'kCn cukvks fxjgdV eupkgk ns'kfudkyk fuLlansg
  • 4. समासिक शब्द समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न ( परसर्ग ) लुप्त हो जाते हैं fxjgdV eupkgk ns'kfudkyk fuLlansg
  • 5. सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना समास - विग्रह कहलाता है। जैसे - राजपुत्र - राजा का पुत्र।
  • 6. पूर्वपद और उत्तरपद समास में दो पद ( शब्द ) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। जैसे - गंगाजल। इसमें गंगा पूर्वपद और जल उत्तरपद है।
  • 7. समास के भेद अव्ययीभाव समास तत्पुरुष समास द्वन्द्व समास बहुव्रीहि समास जिस समास का पहला पद प्रधान हो और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे - यथामति ( मति के अनुसार ), आमरण ( मृत्यु कर ) इनमें यथा और आ अव्यय हैं। तत्पुरुष समास - जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे - तुलसीदासकृत = तुलसी द्वारा कृत ( रचित ) जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’ , अथवा , ‘ या’ , एवं लगता है , वह द्वंद्व समास कहलाता है। जिस समास के दोनों पद अप्रधान हों और समस्तपद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
  • 8. अव्ययीभाव समास अव्ययीभाव समास की पहचान इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अर्थात समास होने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता।
  • 9. आजीवन - जीवन - भर यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार यथाविधि विधि के अनुसार यथाक्रम - क्रम के अनुसार भरपेट - पेट भरकर हररोज़ - रोज़ - रोज़ हाथोंहाथ - हाथ ही हाथ में रातोंरात - रात ही रात में प्रतिदिन - प्रत्येक दिन बेशक - शक के बिना निडर - डर के बिना निस्संदेह - संदेह के बिना प्रतिवर्ष - हर वर्ष mnkgj.k
  • 10. तत्पुरुष समास के प्रकार ज्ञातव्य - विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है। कर्म तत्पुरुष गिरहकट गिरह को काटने वाला करण तत्पुरुष मनचाहा मन से चाहा संप्रदान तत्पुरुष रसोईघर रसोई के लिए घर अपादान तत्पुरुष देशनिकाला देश से निकाला संबंध तत्पुरुष गंगाजल गंगा का जल अधिकरण तत्पुरुष नगरवास नगर में वास
  • 11. तत्पुरुष समास के प्रकार नञ तत्पुरुष समास जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। समस्त पद समास - विग्रह समस्त पद समास - विग्रह असभ्य अनादि अनंत न अंत न सभ्य न आदि असंभव न संभव ftldk mRrj in iz/kku gks
  • 12. कर्मधारय समास जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्व i द व उत्तरपद में विशेषण - विशेष्य अथवा उपमान - उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है। समस्त पद समास - विग्रह समस्त पद समास - विग्रह देहलता देह रूपी लता दहीबड़ा दही में डूबा बड़ा नीलकमल सज्जन नीला कमल पीतांबर पीला अंबर ( वस्त्र ) सत् ( अच्छा ) जन नरसिंह नरों में सिंह के समान
  • 13. द्विगु समास जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है। समस्त पद समास - विग्रह अठन्नी आठ आनों का समूह त्रिलोक तीनों लोकों का समाहार नवग्रह नौ ग्रहों का समूह नवरात्र नौ रात्रियों का समूह
  • 14. दोपहर चौमासा शताब्दी त्रयम्बकेश्वर दो पहरों का समाहार चार मासों का समूह सौ अब्दो ( वर्षों ) का समूह तीन लोकों का ईश्वर vH;kl iz'u
  • 15. द्वन्द्व समास जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’ , अथवा , ‘ या’ , एवं लगता है , वह द्वंद्व समास कहलाता है। समस्त पद समास - विग्रह पाप - पुण्य पाप और पुण्य सीता - राम सीता और राम ऊँच - नीच ऊँच और नीच अन्न - जल अन्न और जल खरा - खोटा खरा और खोटा राधा - कृष्ण राधा और कृष्ण
  • 16. बहुव्रीहि समास जिस समास के दोनों पद अप्रधान हों और समस्तपद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। समस्त पद समास - विग्रह दशानन दश है आनन ( मुख ) जिसके अर्थात् रावण नीलकंठ नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव सुलोचना सुंदर है लोचन जिसके अर्थात् मेघनाद की पत्नी पीतांबर पीले है अम्बर ( वस्त्र ) जिसके अर्थात् श्रीकृष्ण लंबोदर लंबा है उदर ( पेट ) जिसका अर्थात् गणेशजी दुरात्मा बुरी आत्मा वाला ( कोई दुष्ट ) श्वेतांबर श्वेत है जिसके अंबर ( वस्त्र ) अर्थात् सरस्वती जी
  • 17. कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर कर्मधारय में समस्त - पद का एक पद दूसरे का विशेषण होता है। इसमें शब्दार्थ प्रधान होता है। जैसे - नीलकंठ = नीला कंठ। बहुव्रीहि में समस्त पद के दोनों पदों में विशेषण - विशेष्य का संबंध नहीं होता अपितु वह समस्त पद ही किसी अन्य संज्ञादि का विशेषण होता है। इसके साथ ही शब्दार्थ गौण होता है और कोई भिन्नार्थ ही प्रधान हो जाता है। जैसे - नील + कंठ = नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव ।
  • 18. संधि और समास में अंतर संधि वर्णों में होती है। इसमें विभक्ति या शब्द का लोप नहीं होता है। जैसे - देव + आलय = देवालय। समास दो पदों में होता है। समास होने पर विभक्ति या शब्दों का लोप भी हो जाता है। जैसे - माता - पिता = माता और पिता।