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1 | P a g e
अनूठा फल ननराला स्वाद
के ला सर्वसुलभ, सदाबहार, सस्ता, स्र्ास््यर्र्वक और स्र्ाददष्ट फल है।
के ले का र्ानस्पदतक नाम मूसा सेदपयेंटा है दिसका मतलब बुदिमान
व्यदि का फल होता है। के ला दुदनया के सबसे पुराने और लोकदिय फलों
में से एक है। के ले की दिनती हमारे देश के उत्तम फलों में होती है और
हमारे माांिदलक कायों में भी दर्शेष स्थान ददया िया है। के ले को असदमया
में कोल, बांिला में काला, िुिराती में के ला, कनन्ड़ में बाले दि़ा या
बालेहन्डनु, कोंकणी में के ल, मलयालम में र्झा, मराठी में कदलीद्व या के ल,
उद़या में कोडोली या रोम्भा, तदमल में र्झाई, तेलुिु में आसी, अांग्रेिी में
बनाना (Banana) नाम से पुकारा िाता है। प्लेण्टेन (Plantain)
ििादत का के ला मीठा नहीं होता है और सब्िी के रूप में खाया िाता है।
दनसांदेह सेब बहुत अच्छा और स्र्ास््यिद फल माना िाता है इसीदलए
“An apple a day keeps doctor away” कहार्त ब़ी मशहूर रही है। लेदकन तािा शोर् यह बताती है दक
आपको डॉक्टर से दूर रखने में के ला सेब से भी आिे दनकल िया है। क्योंदक के ले में सेब से दुिुने काबोहाइड्रेट र्
खदनि तत्र्, दतिुना फोस्फोरस, चार िुना िोटीन और पाांच िुना दर्टादमन-ए र् आयरन होता है। इसदलए सोच
बददलए, डॉक्टर को अके ला छोद़ये, रोि के ला खाकर स्र्स्थ बने रदहये।
के ला बुदिमान एर्ां दर्र्ेकी व्यदियों का दिय आहार है। के ले का सांबांर् दर्द्या एर्ां बुदि से है, क्योंदक हमारे शास्त्रीय
मतों के अनुसार दर्द्या बुदि के स्र्ामी भिर्ान बृहस्पदत िी का र्ास के ले पर होता है, इसीदलए दहन्डदू र्मावर्लदम्बयो
के अनुसार के ले के पे़ की पूिा बृहस्पदत र्ार के ददन करने का दर्र्ान है। दहन्डदू पूिा पाठ में भी के ले, उसके पत्ते
एर्ां र्ृक्ष को भी अदत पार्न स्थान िाप्त है।
के ले का इनिहास
के ले की उत्पदत्त लिभि 4000 र्षव पूर्व मलेदशया में हुई। यहााँ से के ला दफदलपीन्डस और भारत पहुाँचा। क्राइस्ट से
327 र्षव पहले दसकां दर दहन्डदुस्तान के के लों को यूरोप लेकर िया। दफर अरब के सौदािरों ने के लों को अफ्रीका में
बेचना शुरू दकया। सन् 1482 में पुतविादलयों ने अमेररकी महाद्वीप को दनयावत करना शुरू दकया। लेदकन यू.एस.ए. के
लोि के ले का स्र्ाद 19 र्ीं शताब्दी के आदखरी सालों में ही चख पाये। उसके बाद तो के ला पूरी दुदनया का चहीता
2 | P a g e
फल बन िया। आि सभी उष्णकदटबांर्ीय और उपोष्णकदटबांर्ीय देशों िैसे भारत, चीन, दफदलपीन्डस, इक्र्ाडोर,
ब्रािील, इांडोनेदशया, तांिादनया, िोटामाला, एांिोला और मेदक्सको में खूब के ला पैदा होता है। भारत दुदनया का
सबसे ब़ा के ला उत्पादक देश है और अब दुदनया भर के बािारों में अपनी दहस्सेदारी बढाने के दलए तैयार है।
इसदलए दनकट भदर्ष्य में के ला मांहिा हो सकता है। हमारे यहााँ के ले का सालाना उत्पादन 29.6 दबदलयन दकलो
(220,000,000,000 के ला) होता है।
पोषक ित्व
के ले में पोटेदशयम, कै दशशयम, मैग्नेदशयम, मैिनीि, कापर, आयरन, फास्फोरस, सशफर, आयोडीन,
अशयुमीदनयम, दिांक, कोबाशट, साइदिक एदसड, मैदलक एदसड, आक्िेदलक एदसड आदद तत्र् होते हैं।
Energy 90 Kcal Vitamin B-12 0 mg
Carbohydrates 22.84 g Electrolytes
Protein 1.09g Sodium 1 mg
Total Fat 0.33 g Potassium 358 mg
Cholesterol 0 mg Minerals
Dietary Fiber 2.60 g Calcium 5 mg
Vitamins Copper 0.078 mg
Folates 20 µg Iron 0.26 mg
Niacin B-3 0.665 mg Magnesium 27 mg
Pantothenic acid B-5 0.334 mg Manganese 0.270 mg
Pyridoxine B-6 0.367 mg Phosphorus 22 mg
Riboflavin B-2 0.073 mg Selenium 1.0 µg
Thiamin B-1 0.031 mg Zinc 0.15 mg
Vitamin A 64 IU Phyto-nutrients
Vitamin C 8.7 mg Carotene-α 25 µg
Vitamin E 0.10 mg Carotene-ß 26 µg
Vitamin K 0.5 µg Lutein-zeaxanthin 22 µg
के ले के बारे में कु छ रोचक और ननराले िथ्य
 के ले को कभी भी रेदफ्रिरेटर में नहीं रखना चादहये।
 मच्छर काटने पर के ले का दछलका रि़ने से आराम दमलता है।
 के ला मन और शरीर को ठांडक िदान करता है। इसदलए थाईलैंड में िभवर्ती नाररयाां के ला खाना पसांद
करती हैं तादक उनका दशशु शाांत िकृ दत का पैदा हो।
 के ले की 500 ििादतयाां होती हैं। आस्िेदलया की एक ििादत के के ले लाल होते हैं और पकने पर स्र्ाद में
स्िॉबेरी की तरह लिते हैं।
3 | P a g e
 के ला क्षारीय माना िाता है।
 के ला थो़ा सा रेदडयोएदक्टर् होता है क्योंदक इसमें आइसोटोप पोटेदशयम-40 का थो़ा सा अांश होता है।
लेदकन नुकसान नहीं करता है।
 पूर्ी अफ्रीका में के ले से दबयर भी बनाई िाती है।
 अमेररकन साल भर औसतन 27 पौंड के ला खा लेता है।
 एक बार भारत में एक व्यदि ने आर्े घांटे में 81 के ले खाये थे।
 सन् 2001 में के ले के कारण 300 हादसे दिव दकये िये, दिनमें से अदर्काांश इसके दछलके पर लोिों का
पैर दफसलने के कारण हुए। इसदलए कभी भी के ले का दछलका स़क पर नहीं फैं के ।
 अदर्काश फलों के दर्परीत के ला पे़ पर नहीं बदशक एक सदाबहार पौर्े पर पैदा होता है। इसका तना कई
पदत्तयों के िु़ने और दचपकने से बनता है। के ले के िुच्छे को हैंड और एक के ले को दफां िर कहते हैं।
 के ले का दछलका भी बहुत उपयोिी है। इसके अांदर के दहस्से को मुहाांसे या मस्से पर रि़ने से र्े सूख िाते
हैं। इसे चम़े के िूतों पर रि़ने से र्े चमक उठते हैं। के ले का दछलका िुलाब के दलए बदढया खाद का
काम करता है।
स्फू निि और शनिदायक के ला
के ले में सुक्रोि, फ्रु क्टोि और ग्लुकोि नाम की तीन
िाकृ दतक शकव राएां होती हैं। इसदलए के ला तुरांत शदि
देता है। शोर्कताव बतलाते हैं दक दसफव दो के ले खाने
से 90 दमनट तक र्कव आउट करने की ऊिाव दमल
िाती है। इसदलए के ला अदर्काांश दखला़ी और
पहलर्ानों का पसांदीदा फल है। लेदकन पयावप्त
फाइबर होने की र्िह से कच्चे के ले का
ग्लायसीदमक इांडेक्स 30 और पके के ले का 60 होता
है। इसका मतलब इसका सेर्न करने से ब्लड शुिर
झटके से उछाल नहीं मारती बदशक आदहस्ता से
बढती है, अतः इसे डायदबटीि में खाया िा सकता
है। के ले में आयरन भी पयावप्त होता है, इसदलए यह
खून की कमी भी दूर करता है।
बुनिमान और खुशहाल बनाये के ला
बच्चों के बुदिमान बनाना है, तो उन्डहें के ला िरूर दखलाइये। के ला दखलाने से दर्द्याथी ऊिावर्ान, सदक्रय और
सतकव हो िाते हैं। के ले में दिप्टोफे न, सीरोटोदनन और इदपनेफ्रीन होते हैं िो हमें खुश और तनार्मुि रखते हैं और
दडिेशन दूर करते हैं। के ले में कॉपर, मेग्नीदशयम और मेंिनीि भी होता है। साथ ही इसमें भरपूर दर्टादमन बी-6
4 | P a g e
होता है िो िो मदस्तष्क और नाद़यों के दलए बहुत िरूरी माना िाता है और यह अदनद्रा, व्याकु लता दूर करता है
तथा मूड सही रखता है।
हृदयरोग
के ला पोटेदशयम का बहुत ब़ा स्त्रोत है। िी हाां, एक के ले में
भरपूर 467 दमदलग्राम पोटेदशयम होता है िबदक सोदडयम मात्र
1 दमदलग्राम होता है। इसदलए रोि एक या दो के ला खाने से
आपको रिचाप और ऐथेरोदस्क्लरोदसस होने का खतरा नहीं
होिा। पोटेदशयम हृदय िदत को दनयांदत्रत रखता है और शरीर में
िल के स्तर को सामान्डय बनाये रखता है। शोर्कतावओांने दसि
दकया है दक िो लोि अपने आहार में पोटेदशयम, मेग्नीदशयम
और फाइबर अदर्क लेते हैं उन्डहें स्िोक होने का िोदखम भी
बहुत कम रहता है।
आहार िंत्र
के ला आमाशय में होने र्ाले िेस्िाइदटस और अशसर से सुरक्षा िदान करता है। के ला दो तरह से आमाशय की रक्षा
करता है। एक तो के ला आमाशय की आांतररक सतह की कोदशकाओां को िोत्सादहत करता है दिससे र्े श्लेष्मा
(म्युकस) की मोटी सुरक्षात्मक परत बनाती हैं िो अम्ल से होने र्ाली क्षदत से आमाशय की रक्षा करती है। दूसरा
के ले में िोदटएि इदन्डहबीटसव नाम के तत्र् होते हैं िो अशसर बनाने र्ाले एच. पाइलोराई और अन्डय िीर्ाणुओां का
सफाया करते हैं। के ला बहुत िशदी पचता है इसदलए छोटे बच्चों के दलए यह अच्छा भोिन है।
के ला आहार पथ को िदतशील और स्र्स्थ रखता है। दस्त लिने पर इलेक्िोलाइट्स की एकदम कमी हो िाती है।
ऐसे में के ला खाने से हमें तुरांत पोटेदशयम दमल िाता है िो हृदय की कायव-िणाली को दनयदमत करता है और तरल
की दस्थदत सांतुदलत करता है।
के ले में पेदक्टन नामक घुलनशील फाइबर (दिसे हाइड्रोकोलॉयड भी कहते हैं) होता है िो आहार पथ को िदतशील
रखता है और कब्ि में राहत देता है। के ले में कु छ िदटल स्टाचव भी होते हैं िो आांतो का शोर्न करते हैं और सुकू न
देते हैं।
आँख की ज्योनि बढािा है
आहारशास्त्री कहते हैं दक एांटीऑक्सीडेंट दर्टादमन ए, सी और ई और के रोदटनॉयड्स से भरपूर के ला और अन्डय
फलों का सेर्न करने से ऐि ररलेटेड मेक्यूलर दडिनरेशन (ARMD) का िोदखम कम होता है। यह रोि र्ृिार्स्था
में दृदष्ट दोष का ब़ा कारण माना िाता है।
5 | P a g e
हड्नडयों को मजबूि बनािा है के ला
के ला खाने से हड्दडयाां मिबूत होती हैं। के ला कै दशशयम के अर्शोषण और चयापचय को कई तरह से उत्सादहत
करता है। पहले तो के ला फ्रु क्टोऑदलिोसेके रॉयड नामक दिबायोदटक का बहुत अच्छा स्रोत है िो हमारी ब़ी आांत
में दहतकारी िीर्ाणुओां का पोषण करते हैं। ये दहतकारी िीर्ाणु दर्टादमन्डस और पाचक एांिाइम्स बनाते हैं िो
कै दशशयम समेत कई पोषक तत्र्ों का अर्शोषण और हादनकारक िीर्ाणुओांसे रक्षा करने र्ाले यौदिकों का दनमावण
बढाते हैं। िब आांत के दहतैषी िीर्ाणु फ्रु क्टोऑदलिोसेके रॉयड को फमेंट करते हैं तो िोबायोदटक्स की सेना बढती
है, कै दशशयम का अर्शोषण
िोत्सादहत होता है और
आांते िदतशील रहती हैं।
नकडनी कैं सर में
कारगर है के ला
इांटरनेशनल िरनल ऑफ
कैं सर में िकादशत शोर् के
अनुसार रोिाना सदब्ियों
और फलों की औसत 2.5
सदर्िंि लेने र्ाली दस्त्रयों में
दकडनी के कैं सर की दर में
40% कमी देखी िई। इनमें
के ला सबसे कारिर सादबत
हुआ।
एच.आइ.वी.
के ले में बेनलेक नाम का
लेदक्टन िोटीन होता है िो
शकव रा से दमल कर
एच.आइ.र्ी. सांक्रदमत
कोदशका के चारो तरफ एक चक्रव्यूह की रचना कर डालता है, दिससे एच.आइ.र्ी. र्ायरस का दर्कास और िसार
बुरी तरह िभादर्त होता है। इसदलए एच.आई.र्ी. रोि में के ला कशयाणकारी माना िया है।
6 | P a g e
आयुवेद में के ले के प्रयोग
के ला खाए िाकिवर हो जाये - के ला रोचक, मर्ुर, शदिशाली, र्ीयवर्र्वक, शुक्रर्र्वक, माांस बढाने
र्ाला और नेत्रदोष में दहतकारी है। पके के ले के दनयदमत सेर्न से शरीर पुष्ट होता है। यह कफ, रिदपत, र्ात और
िदर के दर्कारों को नष्ट करता है।
पेनचश रोग - में थो़े-से दही में के ला दमलाकर सेर्न से फायदा होता है। पेट में िलन होने पर दही में चीनी
और पका के ला दमलाकर खाएां । इससे पेट सांबांर्ी अन्डय रोि भी दूर होते हैं। अशसर के रोदियों के दलए कच्चे के ले
का सेर्न रामबाण औषदर् है।
खाँसी - एक पके के ले में आठ साबुत काली दमचव भर दें, र्ापस दछलका लिाकर खुले स्थान पर रख दें। शौच
िाने के पूर्व िातः काली दमचव दनकालकर खा िाएाँ, दफर ऊपर से के ला भी खा िाएाँ। इस िकार कु छ ददन करने से
हर तरह की खााँसी ठीक हो िाती है। अिर दकसी को काली खाांसी हो ियी है तो के ले के तने को सुखाकर दफर
िला कर िो राख बचती है र्ह दो-तीन चुटकी लीदिये और शहद दमला कर चटा दीदिये। काली खाांसी ि़ से
ख़त्म हो िाएिी।
जलने के घाव - आि से शरीर का कोई दहस्सा िल िया हो तो र्हााँ के ले को मसल कर रख दीदिये और
ऊपर से पट्टी बााँर् दीदिये। िलन भी कम होिी और घार् भी ठीक होिा।
मूत्राशय की पथरी -के ले के तने की भस्म को पानी में घोल कर पीने से मूत्राशय की पथरी िल कर दनकल
िाती है। के ले का रस पीने से खुल कर पेशाब आता है और मूत्राशय साफ़ हो िाता है। दिससे देह में सांदचत रोि के
कीटाणु नष्ट हो िाते हैं। के ला अिर एक दनदित मात्रा में रोि खाया िाए तो ये दकडनी को मिबूत बनाता है।
संग्रहणी - दकसी को सांग्रहणी की दशकायत हो तो र्ह पके के ले के साथ इमली और नमक खाए, यह दमश्रण
सांग्रहणी दूर कर देता है। हैिे से ग्रदसत रोिी को सुबह शाम एक एक पका के ला िरूर दखलाना चादहए।
सांस की बीमारी -साांस से सम्बांदर्त कोई भी बीमारी हो तो एक के ला लीदिये, उसमे बीच में चीरा लिाकर
काली दमचव का 3-4 ग्राम पार्डर भर के रात भर रख दीदिये। सर्ेरे इस के ले को तर्े पर ज़रा सा देशी घी डाल कर
सेंक कर खा लीदिये। ३ ददन लिातार इस्तेमाल करे। साांस की बीमारी ख़त्म हो िायेिी।
बबासीर - एक के ले को बीच से चीरा लिाकर चना बराबर कपूर बीच में रख दे दफर इसे खाए इससे बबासीर
एकदम ठीक हो िाती है।
मधुमेह - के ले के फू लों का सत दमल िाए तो इसे ब्लड सुिर को कां िोल करने के दलए रोिाना एक चुटकी खा
लीदिये। यह बहुत अचूक दर्ा है।
7 | P a g e
उपसंहार
दोस्तों, एक बुरी खबर है आि पूरे दर्श्व में के ले की
दितनी भी ििादतयाां उपलब्र् हैं र्े सभी पीले रांि
की के र्ेंदडश ििादत से ही दर्कदसत की िई हैं। हो
सकता है बीमारी के कारण दनकट भदर्ष्य में यह
ििादत पूरी तरह लुप्त हो िाये। अनुसांर्ानकताव यह
मानते हैं दक अिले 20 र्षों में ऐसा हो सकता है।
पहले भी एक बार ऐसा हो चुका है। पुराने िमाने में
ग्रोस दमशेल ििादत का के ला िचदलत था िो बहुत
स्र्ाददष्ट था, शैशफ लाइफ भी ज्यादा थी और ब़ा
भी होता था। दपछली सदी के आरांभ में यह ििादत
एक बीमारी के कारण एकदम लुप्त हो िई। इसीदलए कृ दष र्ैज्ञादनक के ले की ऐसी ििादत दर्कदसत करने कौदशश कर
रहे हैं दिसे बीमारी नष्ट नहीं कर सके । इसदलए मिे ले लेकर खूब के ले खाइये, तादक आप अपनी औलादों को
बतला तो सकें दक के र्ेंदडश के ला दकतना स्र्ाददष्ट लिता था।

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Banana

  • 1. 1 | P a g e अनूठा फल ननराला स्वाद के ला सर्वसुलभ, सदाबहार, सस्ता, स्र्ास््यर्र्वक और स्र्ाददष्ट फल है। के ले का र्ानस्पदतक नाम मूसा सेदपयेंटा है दिसका मतलब बुदिमान व्यदि का फल होता है। के ला दुदनया के सबसे पुराने और लोकदिय फलों में से एक है। के ले की दिनती हमारे देश के उत्तम फलों में होती है और हमारे माांिदलक कायों में भी दर्शेष स्थान ददया िया है। के ले को असदमया में कोल, बांिला में काला, िुिराती में के ला, कनन्ड़ में बाले दि़ा या बालेहन्डनु, कोंकणी में के ल, मलयालम में र्झा, मराठी में कदलीद्व या के ल, उद़या में कोडोली या रोम्भा, तदमल में र्झाई, तेलुिु में आसी, अांग्रेिी में बनाना (Banana) नाम से पुकारा िाता है। प्लेण्टेन (Plantain) ििादत का के ला मीठा नहीं होता है और सब्िी के रूप में खाया िाता है। दनसांदेह सेब बहुत अच्छा और स्र्ास््यिद फल माना िाता है इसीदलए “An apple a day keeps doctor away” कहार्त ब़ी मशहूर रही है। लेदकन तािा शोर् यह बताती है दक आपको डॉक्टर से दूर रखने में के ला सेब से भी आिे दनकल िया है। क्योंदक के ले में सेब से दुिुने काबोहाइड्रेट र् खदनि तत्र्, दतिुना फोस्फोरस, चार िुना िोटीन और पाांच िुना दर्टादमन-ए र् आयरन होता है। इसदलए सोच बददलए, डॉक्टर को अके ला छोद़ये, रोि के ला खाकर स्र्स्थ बने रदहये। के ला बुदिमान एर्ां दर्र्ेकी व्यदियों का दिय आहार है। के ले का सांबांर् दर्द्या एर्ां बुदि से है, क्योंदक हमारे शास्त्रीय मतों के अनुसार दर्द्या बुदि के स्र्ामी भिर्ान बृहस्पदत िी का र्ास के ले पर होता है, इसीदलए दहन्डदू र्मावर्लदम्बयो के अनुसार के ले के पे़ की पूिा बृहस्पदत र्ार के ददन करने का दर्र्ान है। दहन्डदू पूिा पाठ में भी के ले, उसके पत्ते एर्ां र्ृक्ष को भी अदत पार्न स्थान िाप्त है। के ले का इनिहास के ले की उत्पदत्त लिभि 4000 र्षव पूर्व मलेदशया में हुई। यहााँ से के ला दफदलपीन्डस और भारत पहुाँचा। क्राइस्ट से 327 र्षव पहले दसकां दर दहन्डदुस्तान के के लों को यूरोप लेकर िया। दफर अरब के सौदािरों ने के लों को अफ्रीका में बेचना शुरू दकया। सन् 1482 में पुतविादलयों ने अमेररकी महाद्वीप को दनयावत करना शुरू दकया। लेदकन यू.एस.ए. के लोि के ले का स्र्ाद 19 र्ीं शताब्दी के आदखरी सालों में ही चख पाये। उसके बाद तो के ला पूरी दुदनया का चहीता
  • 2. 2 | P a g e फल बन िया। आि सभी उष्णकदटबांर्ीय और उपोष्णकदटबांर्ीय देशों िैसे भारत, चीन, दफदलपीन्डस, इक्र्ाडोर, ब्रािील, इांडोनेदशया, तांिादनया, िोटामाला, एांिोला और मेदक्सको में खूब के ला पैदा होता है। भारत दुदनया का सबसे ब़ा के ला उत्पादक देश है और अब दुदनया भर के बािारों में अपनी दहस्सेदारी बढाने के दलए तैयार है। इसदलए दनकट भदर्ष्य में के ला मांहिा हो सकता है। हमारे यहााँ के ले का सालाना उत्पादन 29.6 दबदलयन दकलो (220,000,000,000 के ला) होता है। पोषक ित्व के ले में पोटेदशयम, कै दशशयम, मैग्नेदशयम, मैिनीि, कापर, आयरन, फास्फोरस, सशफर, आयोडीन, अशयुमीदनयम, दिांक, कोबाशट, साइदिक एदसड, मैदलक एदसड, आक्िेदलक एदसड आदद तत्र् होते हैं। Energy 90 Kcal Vitamin B-12 0 mg Carbohydrates 22.84 g Electrolytes Protein 1.09g Sodium 1 mg Total Fat 0.33 g Potassium 358 mg Cholesterol 0 mg Minerals Dietary Fiber 2.60 g Calcium 5 mg Vitamins Copper 0.078 mg Folates 20 µg Iron 0.26 mg Niacin B-3 0.665 mg Magnesium 27 mg Pantothenic acid B-5 0.334 mg Manganese 0.270 mg Pyridoxine B-6 0.367 mg Phosphorus 22 mg Riboflavin B-2 0.073 mg Selenium 1.0 µg Thiamin B-1 0.031 mg Zinc 0.15 mg Vitamin A 64 IU Phyto-nutrients Vitamin C 8.7 mg Carotene-α 25 µg Vitamin E 0.10 mg Carotene-ß 26 µg Vitamin K 0.5 µg Lutein-zeaxanthin 22 µg के ले के बारे में कु छ रोचक और ननराले िथ्य  के ले को कभी भी रेदफ्रिरेटर में नहीं रखना चादहये।  मच्छर काटने पर के ले का दछलका रि़ने से आराम दमलता है।  के ला मन और शरीर को ठांडक िदान करता है। इसदलए थाईलैंड में िभवर्ती नाररयाां के ला खाना पसांद करती हैं तादक उनका दशशु शाांत िकृ दत का पैदा हो।  के ले की 500 ििादतयाां होती हैं। आस्िेदलया की एक ििादत के के ले लाल होते हैं और पकने पर स्र्ाद में स्िॉबेरी की तरह लिते हैं।
  • 3. 3 | P a g e  के ला क्षारीय माना िाता है।  के ला थो़ा सा रेदडयोएदक्टर् होता है क्योंदक इसमें आइसोटोप पोटेदशयम-40 का थो़ा सा अांश होता है। लेदकन नुकसान नहीं करता है।  पूर्ी अफ्रीका में के ले से दबयर भी बनाई िाती है।  अमेररकन साल भर औसतन 27 पौंड के ला खा लेता है।  एक बार भारत में एक व्यदि ने आर्े घांटे में 81 के ले खाये थे।  सन् 2001 में के ले के कारण 300 हादसे दिव दकये िये, दिनमें से अदर्काांश इसके दछलके पर लोिों का पैर दफसलने के कारण हुए। इसदलए कभी भी के ले का दछलका स़क पर नहीं फैं के ।  अदर्काश फलों के दर्परीत के ला पे़ पर नहीं बदशक एक सदाबहार पौर्े पर पैदा होता है। इसका तना कई पदत्तयों के िु़ने और दचपकने से बनता है। के ले के िुच्छे को हैंड और एक के ले को दफां िर कहते हैं।  के ले का दछलका भी बहुत उपयोिी है। इसके अांदर के दहस्से को मुहाांसे या मस्से पर रि़ने से र्े सूख िाते हैं। इसे चम़े के िूतों पर रि़ने से र्े चमक उठते हैं। के ले का दछलका िुलाब के दलए बदढया खाद का काम करता है। स्फू निि और शनिदायक के ला के ले में सुक्रोि, फ्रु क्टोि और ग्लुकोि नाम की तीन िाकृ दतक शकव राएां होती हैं। इसदलए के ला तुरांत शदि देता है। शोर्कताव बतलाते हैं दक दसफव दो के ले खाने से 90 दमनट तक र्कव आउट करने की ऊिाव दमल िाती है। इसदलए के ला अदर्काांश दखला़ी और पहलर्ानों का पसांदीदा फल है। लेदकन पयावप्त फाइबर होने की र्िह से कच्चे के ले का ग्लायसीदमक इांडेक्स 30 और पके के ले का 60 होता है। इसका मतलब इसका सेर्न करने से ब्लड शुिर झटके से उछाल नहीं मारती बदशक आदहस्ता से बढती है, अतः इसे डायदबटीि में खाया िा सकता है। के ले में आयरन भी पयावप्त होता है, इसदलए यह खून की कमी भी दूर करता है। बुनिमान और खुशहाल बनाये के ला बच्चों के बुदिमान बनाना है, तो उन्डहें के ला िरूर दखलाइये। के ला दखलाने से दर्द्याथी ऊिावर्ान, सदक्रय और सतकव हो िाते हैं। के ले में दिप्टोफे न, सीरोटोदनन और इदपनेफ्रीन होते हैं िो हमें खुश और तनार्मुि रखते हैं और दडिेशन दूर करते हैं। के ले में कॉपर, मेग्नीदशयम और मेंिनीि भी होता है। साथ ही इसमें भरपूर दर्टादमन बी-6
  • 4. 4 | P a g e होता है िो िो मदस्तष्क और नाद़यों के दलए बहुत िरूरी माना िाता है और यह अदनद्रा, व्याकु लता दूर करता है तथा मूड सही रखता है। हृदयरोग के ला पोटेदशयम का बहुत ब़ा स्त्रोत है। िी हाां, एक के ले में भरपूर 467 दमदलग्राम पोटेदशयम होता है िबदक सोदडयम मात्र 1 दमदलग्राम होता है। इसदलए रोि एक या दो के ला खाने से आपको रिचाप और ऐथेरोदस्क्लरोदसस होने का खतरा नहीं होिा। पोटेदशयम हृदय िदत को दनयांदत्रत रखता है और शरीर में िल के स्तर को सामान्डय बनाये रखता है। शोर्कतावओांने दसि दकया है दक िो लोि अपने आहार में पोटेदशयम, मेग्नीदशयम और फाइबर अदर्क लेते हैं उन्डहें स्िोक होने का िोदखम भी बहुत कम रहता है। आहार िंत्र के ला आमाशय में होने र्ाले िेस्िाइदटस और अशसर से सुरक्षा िदान करता है। के ला दो तरह से आमाशय की रक्षा करता है। एक तो के ला आमाशय की आांतररक सतह की कोदशकाओां को िोत्सादहत करता है दिससे र्े श्लेष्मा (म्युकस) की मोटी सुरक्षात्मक परत बनाती हैं िो अम्ल से होने र्ाली क्षदत से आमाशय की रक्षा करती है। दूसरा के ले में िोदटएि इदन्डहबीटसव नाम के तत्र् होते हैं िो अशसर बनाने र्ाले एच. पाइलोराई और अन्डय िीर्ाणुओां का सफाया करते हैं। के ला बहुत िशदी पचता है इसदलए छोटे बच्चों के दलए यह अच्छा भोिन है। के ला आहार पथ को िदतशील और स्र्स्थ रखता है। दस्त लिने पर इलेक्िोलाइट्स की एकदम कमी हो िाती है। ऐसे में के ला खाने से हमें तुरांत पोटेदशयम दमल िाता है िो हृदय की कायव-िणाली को दनयदमत करता है और तरल की दस्थदत सांतुदलत करता है। के ले में पेदक्टन नामक घुलनशील फाइबर (दिसे हाइड्रोकोलॉयड भी कहते हैं) होता है िो आहार पथ को िदतशील रखता है और कब्ि में राहत देता है। के ले में कु छ िदटल स्टाचव भी होते हैं िो आांतो का शोर्न करते हैं और सुकू न देते हैं। आँख की ज्योनि बढािा है आहारशास्त्री कहते हैं दक एांटीऑक्सीडेंट दर्टादमन ए, सी और ई और के रोदटनॉयड्स से भरपूर के ला और अन्डय फलों का सेर्न करने से ऐि ररलेटेड मेक्यूलर दडिनरेशन (ARMD) का िोदखम कम होता है। यह रोि र्ृिार्स्था में दृदष्ट दोष का ब़ा कारण माना िाता है।
  • 5. 5 | P a g e हड्नडयों को मजबूि बनािा है के ला के ला खाने से हड्दडयाां मिबूत होती हैं। के ला कै दशशयम के अर्शोषण और चयापचय को कई तरह से उत्सादहत करता है। पहले तो के ला फ्रु क्टोऑदलिोसेके रॉयड नामक दिबायोदटक का बहुत अच्छा स्रोत है िो हमारी ब़ी आांत में दहतकारी िीर्ाणुओां का पोषण करते हैं। ये दहतकारी िीर्ाणु दर्टादमन्डस और पाचक एांिाइम्स बनाते हैं िो कै दशशयम समेत कई पोषक तत्र्ों का अर्शोषण और हादनकारक िीर्ाणुओांसे रक्षा करने र्ाले यौदिकों का दनमावण बढाते हैं। िब आांत के दहतैषी िीर्ाणु फ्रु क्टोऑदलिोसेके रॉयड को फमेंट करते हैं तो िोबायोदटक्स की सेना बढती है, कै दशशयम का अर्शोषण िोत्सादहत होता है और आांते िदतशील रहती हैं। नकडनी कैं सर में कारगर है के ला इांटरनेशनल िरनल ऑफ कैं सर में िकादशत शोर् के अनुसार रोिाना सदब्ियों और फलों की औसत 2.5 सदर्िंि लेने र्ाली दस्त्रयों में दकडनी के कैं सर की दर में 40% कमी देखी िई। इनमें के ला सबसे कारिर सादबत हुआ। एच.आइ.वी. के ले में बेनलेक नाम का लेदक्टन िोटीन होता है िो शकव रा से दमल कर एच.आइ.र्ी. सांक्रदमत कोदशका के चारो तरफ एक चक्रव्यूह की रचना कर डालता है, दिससे एच.आइ.र्ी. र्ायरस का दर्कास और िसार बुरी तरह िभादर्त होता है। इसदलए एच.आई.र्ी. रोि में के ला कशयाणकारी माना िया है।
  • 6. 6 | P a g e आयुवेद में के ले के प्रयोग के ला खाए िाकिवर हो जाये - के ला रोचक, मर्ुर, शदिशाली, र्ीयवर्र्वक, शुक्रर्र्वक, माांस बढाने र्ाला और नेत्रदोष में दहतकारी है। पके के ले के दनयदमत सेर्न से शरीर पुष्ट होता है। यह कफ, रिदपत, र्ात और िदर के दर्कारों को नष्ट करता है। पेनचश रोग - में थो़े-से दही में के ला दमलाकर सेर्न से फायदा होता है। पेट में िलन होने पर दही में चीनी और पका के ला दमलाकर खाएां । इससे पेट सांबांर्ी अन्डय रोि भी दूर होते हैं। अशसर के रोदियों के दलए कच्चे के ले का सेर्न रामबाण औषदर् है। खाँसी - एक पके के ले में आठ साबुत काली दमचव भर दें, र्ापस दछलका लिाकर खुले स्थान पर रख दें। शौच िाने के पूर्व िातः काली दमचव दनकालकर खा िाएाँ, दफर ऊपर से के ला भी खा िाएाँ। इस िकार कु छ ददन करने से हर तरह की खााँसी ठीक हो िाती है। अिर दकसी को काली खाांसी हो ियी है तो के ले के तने को सुखाकर दफर िला कर िो राख बचती है र्ह दो-तीन चुटकी लीदिये और शहद दमला कर चटा दीदिये। काली खाांसी ि़ से ख़त्म हो िाएिी। जलने के घाव - आि से शरीर का कोई दहस्सा िल िया हो तो र्हााँ के ले को मसल कर रख दीदिये और ऊपर से पट्टी बााँर् दीदिये। िलन भी कम होिी और घार् भी ठीक होिा। मूत्राशय की पथरी -के ले के तने की भस्म को पानी में घोल कर पीने से मूत्राशय की पथरी िल कर दनकल िाती है। के ले का रस पीने से खुल कर पेशाब आता है और मूत्राशय साफ़ हो िाता है। दिससे देह में सांदचत रोि के कीटाणु नष्ट हो िाते हैं। के ला अिर एक दनदित मात्रा में रोि खाया िाए तो ये दकडनी को मिबूत बनाता है। संग्रहणी - दकसी को सांग्रहणी की दशकायत हो तो र्ह पके के ले के साथ इमली और नमक खाए, यह दमश्रण सांग्रहणी दूर कर देता है। हैिे से ग्रदसत रोिी को सुबह शाम एक एक पका के ला िरूर दखलाना चादहए। सांस की बीमारी -साांस से सम्बांदर्त कोई भी बीमारी हो तो एक के ला लीदिये, उसमे बीच में चीरा लिाकर काली दमचव का 3-4 ग्राम पार्डर भर के रात भर रख दीदिये। सर्ेरे इस के ले को तर्े पर ज़रा सा देशी घी डाल कर सेंक कर खा लीदिये। ३ ददन लिातार इस्तेमाल करे। साांस की बीमारी ख़त्म हो िायेिी। बबासीर - एक के ले को बीच से चीरा लिाकर चना बराबर कपूर बीच में रख दे दफर इसे खाए इससे बबासीर एकदम ठीक हो िाती है। मधुमेह - के ले के फू लों का सत दमल िाए तो इसे ब्लड सुिर को कां िोल करने के दलए रोिाना एक चुटकी खा लीदिये। यह बहुत अचूक दर्ा है।
  • 7. 7 | P a g e उपसंहार दोस्तों, एक बुरी खबर है आि पूरे दर्श्व में के ले की दितनी भी ििादतयाां उपलब्र् हैं र्े सभी पीले रांि की के र्ेंदडश ििादत से ही दर्कदसत की िई हैं। हो सकता है बीमारी के कारण दनकट भदर्ष्य में यह ििादत पूरी तरह लुप्त हो िाये। अनुसांर्ानकताव यह मानते हैं दक अिले 20 र्षों में ऐसा हो सकता है। पहले भी एक बार ऐसा हो चुका है। पुराने िमाने में ग्रोस दमशेल ििादत का के ला िचदलत था िो बहुत स्र्ाददष्ट था, शैशफ लाइफ भी ज्यादा थी और ब़ा भी होता था। दपछली सदी के आरांभ में यह ििादत एक बीमारी के कारण एकदम लुप्त हो िई। इसीदलए कृ दष र्ैज्ञादनक के ले की ऐसी ििादत दर्कदसत करने कौदशश कर रहे हैं दिसे बीमारी नष्ट नहीं कर सके । इसदलए मिे ले लेकर खूब के ले खाइये, तादक आप अपनी औलादों को बतला तो सकें दक के र्ेंदडश के ला दकतना स्र्ाददष्ट लिता था।