2. परिचय
बाल-श्रम का मतलब ऐसे कायय से है जिसमे की
कायय किने वाला व्यजतत कानून द्वािा ननर्ायरित
आयु सीमा से छोटा होता है। इस प्रथा को कई
देशों औि अंतिायष्ट्रीय संघटनों ने शोषित किने
वाली माना है। अतीत में बाल श्रम का कई प्रकाि
से उपयोग ककया िाता था, लेककन सावयभौममक
स्कू ली मशक्षा के साथ औद्योगीकिण, काम किने
की जस्थनत में परिवतयन तथा कामगािों श्रम
अधर्काि औि बच्चों अधर्काि की अवर्ािणाओं के
चलते इसमे िनषववाद प्रवेश कि गया। बाल श्रम
अभी भी कु छ देशों में आम है उदाहिण,के मलए
भाित ।
4. बाल श्रम के कािण
• गिीबी
• माता षपता का ननिक्षिता
• सामाजिक उदासीनता औि बाल श्रम की
सहनशीलता
• बाल श्रम के प्रनतकू ल परिणामों के बािे में
माता-षपता के बािे में अनमभज्ञता
6. बाल श्रम के परिणाम
• बच्चों के षवकास में बार्ा पड़ती है
• वयस्क होने पि एक नागरिक के रूप में सामाजिक
षवकास में अपना समुधचत योगदान नहीं दे पाते हैं
• यह बच्चों के मानमसक, शािीरिक, आजममक,
बौद्धर्क एवं सामाजिक हहतों को प्रभाषवत किता
है।
9. अश्कों में खोता बचपन....
िोती, बबलखती ज़िन्दगी, तयूँ सड़कों पि खोता बचपन, र्ुएं औि
शोि के बीच, अश्कों में खोता बचपन, भूखे पेट, तिसती आँखे, कफि
भी मुस्कु िाती ज़िन्दगी, चमकती आँखे, कभी ककताबों तो कभी फू लों
को बेचने की िुगत में खोता बचपन, तो कभी लाचािी औि
अपंगता में खोता बचपन, तयूँ िोती, बबलखती ज़िन्दगी, तयूँ सड़कों
पि खोता बचपन, र्ुएं औि शोि के बीच, तयूँ अश्कों में खोता
बचपन... भूखे पेट, तिसती आँखे, दो रुपये, तिसती सांसें, तयूँ
र्ुओं में खोता बचपन, चोिी, नशा औि ़िुल्म में पड़, सड़कों पि
िोता बचपन, ये िोती, बबलखती ज़िन्दगी, ये सड़कों पि खोता
बचपन, र्ुएं औि शोि के बीच, अश्कों में खोता बचपन... बाबूिी,
एक रूपया दे दो, कहके आया पास मेिे, चेहिे पि मोती, पेट में
भूख, ले आया वो पास मेिे, मैंने पुछा, तया होगा िो एक रूपया मैं
दे दूंगा, बोला वो, एक रूपया िोड़, माँ का पेट मैं भि लूँगा, गु़िि
गया आँखों के आगे, तयूँ उसका सािा बचपन, हाँथ िोड़ तयूँ खड़ा
िहा, आँखों के आगे सािा बचपन, ये िोती, बबलखती ज़िन्दगी, ये
सड़कों पि खोता बचपन, र्ुएं औि शोि के बीच, अश्कों में खोता
बचपन.