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महिला सशक्तिकरण
By- BK Sarika
महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण के
अंतर्गत महिलाओं से जुडे
सामाजजक, आर्थगक,
राजनैततक और कानूनी
मुद्दों पर रूप से
संवेदनशीलता और
सरोकार व्यक्त ककया
जाता िै।
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महिला और पुरूष की
शारीररक संरचनाएं जजस तरि
की िैं उनमें महिला िमेशा
नाजुक और कमजोर रिी िै
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महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण
• दुर्ाग, शजक्त का रूप िैं। इतनी
शजक्तमान कक भर्वान राम ने
भी लंका पर आक्रमण के
समय, दुर्ाग की आराधना की।
• दुर्ाग, शजक्तमयी िैं लेककन आज
की महिला क्या शजक्तमयी िै?
क्या उसका सशजक्तकरण िो
चुका िै? क्या वि आज दुर्ाग
बन चुकी िै? शायद निीं, पर
उसके पास कु छ अर्धकार तो िैं
• यि अर्धकार, यि शजक्तयां उसे
ककसी ने हदये निीं िैं। यि
उसने खुद लड कर प्राप्त ककये
िैं।
महिला सशक्तिकरण
• यूतनसेफ की ररपोर्ग के अनुसार .........
• भारत में दुतनया के ४० परसेंर् बाल वववाि िोते िै ।
• ४९ परसेंर् लडककयों का वववाि १८ वषग से कम आयु में िी िो जाता िै ।
• ललंर्भेद और अलशक्षा का ये सबसे बडा कारण िै ।
• राजस्थान ,बबिार ,मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश और प बंर्ाल में सबसे ख़राब
जस्थतत िै ।
• यूतनसेफ के अनुसार राजस्थान में ८२ परसेंर् वववाि १८ साल से पिले िी
िो जाते िै ।
• १९७८ में संसद द्बारा बाल वववाि तनवारण कानून पाररत ककया र्या ।
इसमे वववाि की आयु लडककयों के ललए कम से कम १८ साल और लडकों
के ललए २१ साल तनधागररत ककया र्या ।
• भारत सरकार ने नेशनल प्लान फॉर र्चल्ड्रेन २००५ में २०१० तक बाल
वववाि को पुरी तरि ख़त्म करने का
• लक्ष्य रखा िै ।
महिला सशक्तिकरण
तनिःसंदेि आज की नारी की भूलमका में तीव्रता
से पररवतगन िुआ िै।
• नई सदी की नारी के पास कामयाबी के
उच्चतम लशखर को छू ने की अपार क्षमता िै।
• उसके पास अनर्र्नत अवसर भी िैं। जजंदर्ी
जीने का जज्बा उसमें पैदा िो चुका िै।
• दृढ़ इच्छाशजक्त एवं लशक्षा ने नारी मन को
उच्च आकांक्षाएँ, सपनों के सप्तरंर् एवं
अंतमगन की परतों को खोलने की नई राि दी
िै।
• पिले वि घर की रानी थी, कफर उत्तम कायों
में संलग्न िोकर समाज कल्ड्याण में प्रवृत्त िुई
और आज वि राजनीततज्ञों एवं प्रशासकों की
सामाजजक भूलमका में उतरी िै। तथावप िम
इस तथ्य से भली-भाँतत अवर्त िैं कक नारी
की पारंपररक भूलमका का अततक्रमण िोना
अभी शेष िै और कक उसके ववरुद्ध पूवागग्रि
आज भी सदा की भाँतत प्रबल िैं।
• अनुच्छेद 14,15 और 16 में देश के प्रत्येकनागररक को समानिा का
अधिकार हदया र्या िै। समानता का मतलब, इसमें ककसी प्रकार का
ललंर् भेद निीं िै ।
• समानिा , स्विन्त्रिा और न्त्याय का अधिकार महिला-पुरुष दोनों को
समान रूप से हदया र्या िै। शारीररक और मानलसक तौर पर नर-
नारी में ककसी प्रकार का भेदभाव असंवैधातनक माना र्या िै ।
• अनुच्छेद-15 में यि प्रावधान ककया र्या िै कक स्विंरिा -समानिा
और न्त्याय के साथ -साथ के महिलाओं /लडककयों की सुरक्षा और
संरक्षण का काम भी सरकार का कितव्य िै।
• जैसे बििारमें लडककयों के ललए साइककल और पोषक की
योजना , मध्यप्रदेश में लडककयों के ललए ‘ लाड़ली लक्ष्मी’ योजना ,
हदल्ड्ली में मेट्रो में महिलाओं के ललए ररजवत कोच की व्यवस्था आहद
।
समानिा , स्विन्त्रिा और न्त्याय का अधिकार
1917: एनी बेसेंर् भारतीय राष्ट्ट्रीय कांग्रेस की पिली अध्यक्ष महिला बनीं.
1925: सरोजजनी नायडू भारतीय मूल की पिली महिला थीं जो भारतीय राष्ट्ट्रीय
कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं.
1951: डेक्कन एयरवेज की प्रेम माथुर प्रथम भारतीय महिला व्यावसातयक पायलर्
बनीं.
1966: इंहदरा र्ाँधी भारत की पिली महिला प्रधानमंत्री बनीं.
1972: ककरण बेदी भारतीय पुललस सेवा (इंडडयन पुललस सववगस) में भती िोने वाली
पिली महिला थीं.[
1997: कल्ड्पना चावला, भारत में जन्मी ऐसी प्रथम महिला थीं जो अंतररक्ष में र्यीं
2000: कणगम मल्ड्लेश्वरी ओललंवपक में पदक जीतने वाली पिली भारतीय महिला बनीं
2007: प्रततभा पाहर्ल भारत की प्रथम भारतीय महिला राष्ट्ट्रपतत बनीं.
महिलाओं द्वारा िालसल उपलजधधयi
महिला सशक्तिकरण
• सामाजजक तौर पर महिलाओं को त्यार्, सिनशीलता व शमीलेपन का ताज
पिनाया र्या िै, जजसके भार से दबी महिला कई बार जानकारी िोते िुए भी इन
कानूनों का उपयोर् निीं कर पातीं तो बिुत के सों में महिलाओं को पता िी निीं
िोता कक उनके साथ िो रिी घर्नाएं हिंसा िैं और इससे बचाव के ललए कोई
कानून भी िै।
• आमतौर पर शारीररक प्रताडना यानी मारपीर्, जान से मारना आहद को िी हिंसा
माना जाता िै और इसके ललए ररपोर्ग भी दजग कराई जाती िै।
इसके ललए भारतीय दंड संहिता की धारा 498 के तित ससुराल पक्ष के लोर्ों
द्वारा की र्ई क्रू रता, जजसके अंतगर्त मारपीर् से लेकर कै द में रखना, खाना न
देना व दिेज के ललए प्रताडडत करना आहद आता िै, के तित अपरार्धयों को 3
वषग तक की सजा दी जा सकती िै, पर शारीररक प्रताडना की तुलना में महिलाओं
के साथ मानलसक प्रताडना के के स ज्यादा िोते िैं।
महिला के खखलाफ हिंसा
• एक आंकडे के मुताबबक भारत में िर तीन
लमनर् पर महिला के खखलाफ हिंसा से
संबंर्धत एक मामला दजग िोता िै.
• िर हदन दिेज से संबंर्धत 50 मामले
सामने आते िैं तथा
• िर 29 वें लमनर् पर एक महिला के साथ
बलात्कार िोता िै.
• वैजश्वक स्तर पर िर 10 महिलाओं में
एक महिला अपने जीवन में कभी न कभी
शारीररक या यौन हिंसा का लशकार िोती
िै.
• महिला जिां घर में बाललका भ्रूण ित्या से
लेकर ऑनर ककललंर्, दिेज हिंसा, पतत
और पररवार के अन्य सदस्यों के बुरे
बतागव तथा अन्य घरेलू हिंसा का लशकार
िोती िै.
• विीं घर की दिलीज के बािर भी उन्िें
युवक द्वारा उनपर अम्ल फें के जाने,
साइबर अपराध, एमएमएस, दफ्तर में
छेडछाड जैसी कई तरि की हिंसा से दो
चार िोना पडता िै.
कन्या भ्रूण ित्या
• लडका-लडकी में भेदभाव िमारे जीवनमूल्ड्य में आई खालमया को दशागता िै।
• जनर्णना-2001 के अनुसार एक िजार बालकाेे में बाललकाओं की संख्या
पंजाब में 798, िररयाणा में 819 और र्ुजरात में 883 िै, जो एक र्चंता
का ववषय िै।
• भारत में वपछले चार दशकों से सात साल से कम आयु के बच्चों के ललंर्
अनुपात में लर्ातार र्र्रावर् आ रिी िै।
• वषग 1981 में एक िजार बालकों पर ९६२ बाललकाएँ थी। वषग २००१ में यि
अनुपात घर्कर ९२७ िो र्या। यि इस बात का संके त िै कक िमारी
आर्थगक समृजध्द और लशक्षा के बढते स्तर का इस समस्या पर कोई प्रभाव
निीं पड रिा िै।
• भारत के सबसे समृध्द राज्यों पंजाब, िररयाणा, हदल्ड्ली और र्ुजरात में
ललंर्ानुपात सबसे कम िै। २००१ की जनर्णना के अनुसार एक िजार
बालकों पर बाललकाओं की संख्या पंजाब में 798, िररयाणा में 819 और
र्ुजरात में 883 िै।
• 1000 / 972 (प्रतत एक िजार (१०००) पुरुषों पर जस्त्रयों की संख्या)-
जनर्णना, १९०१
• 1000 / 933 (प्रतत एक िजार (१०००) पुरुषों पर जस्त्रयों की संख्या)-
जनर्णना, २००१
जीने दो मुझे, मैं भी जजंदा िूँ
क्या दोष मेरा ? िूँ मैं अंश तेरा
ऐसे समाज पर, मैं बिुत शलमिंदा
िूँ !!
किलाती पराई सदा िी रिी
जन्म लमला तो, मृत्यु सी पीर
सिी
िैवानो मुझ पर दया करो
ना कु क्ष में कु चलो िया करो !!
जीने दो मुझे
बालवववाि
• बालवववाि एक अपराध िै, इसकी रोकथाम के ललए समाज
के प्रत्येक वर्ग को आर्े आना चाहिए ।
• तमाम प्रयासों के बाबजूद िमारे देश में बाल वववाि जैसी
कु प्रथा का अंत निी िो पा रिा िै ।
• बाल वववाि का सबसे बडा कारण ललंर्भेद और अलशक्षा िै
साथ िी लडककयों को कम रुतबा हदया जाना एवं उन्िें
आर्थगक बोझ समझना ।
• क्या इसके पीछे आज भी अज्ञानता िी जजमेदार िै या कफर
धालमगक, सामाजजक मान्यताएँ और रीतत-ररवाज िी इसका
मुख्य कारण िै, कारण चािे कोई भी िो इसका खालमयाजा
तो बच्चों को िी भुर्तना पडता िै !
• राजस्थान, बबिार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और प. बंर्ाल
में सबसे ख़राब जस्थतत िै ।
• अभी िाल िी में आई यूतनसेफ की एक ररपोर्ग में यि
खुलासा ककया र्या िै । ररपोर्ग के अनुसार देश में 47
फीसदी बाललकाओं की शादी 18 वषग से कम उम्र में कर
दी जाती िै ।
• ररपोर्ग में यि भी बताया र्या िै कक 22 फीसदी
बाललकाएं 18 वषग से पिले िी माँ बन जाती िैं ।
• प्राय: देखा जा रिा िै कक घरेलू हिंसा के
मामले हदनों-हदन बढ्ते जा रिे िैं। पररवार
तथा समाज के संबंधों में व्याप्त ईष्ट्याग,
द्वेष, अिंकार, अपमान तथा ववद्रोि घरेलू
हिंसा के मुख्य कारण िैं।
• घरेलू हिंसा की पररभाषा
• पुललस - महिला, वृद्ध अथवा बच्चों के
साथ िोने वाली ककसी भी तरि की हिंसा
अपराध की श्रेणी में आती िै।
• महिलाओं के प्रतत घलेलू हिंसा के अर्धकांश
मामलों में दिेज प्रताडना तथा अकारण
मारपीर् प्रमुख िैं।
• राज्य महिला आयोर् - कोई भी महिला
यहद पररवार के पुरूष द्वारा की र्ई
मारपीर् अथवा अन्य प्रताड्ना से त्रस्त िै
तो वि घरेलू हिंसा की लशकार किलाएर्ी।
घरेलू हिंसा / ऑनर ककललंर्
लशक्षा के मित्व
• लशक्षा एक ऐसी चीज िै जो िर इंसान के
ललए इस तरि मित्वपूणग िै जजस तरि
ऑक्सीजन जीवन के ललए जरूरी िै.
• लशक्षा के बबना मनुष्ट्य बबल्ड्कु ल जानवर की
तरि िै यिी लशक्षा िै जो इंसान को बुद्र्ध
और चेतना के धन से मालामाल करती िै
और जीवन की िकीकतों से अवर्त कराती
िै
• कई लोर् अपने जीवन को ज्ञान की प्राजप्त
के ललए तनछावर कर देते िैं और यिी वजि
िै की सभी धमों में ज्ञान प्राप्त करने पर
काफी जोर हदया र्या िै.
लशक्षा के मित्व
• र्ांधीजी ने महिलाओं की लशक्षा
को पयागप्त मित्त्व हदया, ककन्तु
वे जानते थे कक अके ले लशक्षा से
िी राष्ट्ट्र तनधागररत लक्ष्य प्राप्त
निीं ककये जा सकते। वे लसफग
महिलाओं की िी निीं, पुरुषों की
भी मुजक्त के ललए समुर्चत
कायगवािी के पक्षधर थे।
• उन्िोंने ललखा था ‘जरूरी यि िै
कक लशक्षा प्रणाली को दुरुस्त
ककया जाये और उसे व्यापक
जनसमुदाय को ध्यान में रखकर
तय ककया जाये। उनके अनुसार
लशक्षा प्रणाली में बच्चों के साथ
प्रौढ़ लशक्षा पर िी बल निीं हदया
जा सके ।“
र्ांधीजी
• यत्र नायरुस्तु
पूजयजन्त तत्र
रमजन्त
देवता’,
महिला सशक्तिकरण

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महिला सशक्तिकरण

  • 2. महिला सशक्तिकरण महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत महिलाओं से जुडे सामाजजक, आर्थगक, राजनैततक और कानूनी मुद्दों पर रूप से संवेदनशीलता और सरोकार व्यक्त ककया जाता िै।
  • 3. eZnksadksiq:’k,aoukfj;ksadksizdzfr ekuktkrkgS महिला और पुरूष की शारीररक संरचनाएं जजस तरि की िैं उनमें महिला िमेशा नाजुक और कमजोर रिी िै /kZe “kkL=fdlh“kq} vkRekdks“osr ekursgSavkSjv”kz} vkRekdks“;ke महिला सशक्तिकरण
  • 4. महिला सशक्तिकरण • दुर्ाग, शजक्त का रूप िैं। इतनी शजक्तमान कक भर्वान राम ने भी लंका पर आक्रमण के समय, दुर्ाग की आराधना की। • दुर्ाग, शजक्तमयी िैं लेककन आज की महिला क्या शजक्तमयी िै? क्या उसका सशजक्तकरण िो चुका िै? क्या वि आज दुर्ाग बन चुकी िै? शायद निीं, पर उसके पास कु छ अर्धकार तो िैं • यि अर्धकार, यि शजक्तयां उसे ककसी ने हदये निीं िैं। यि उसने खुद लड कर प्राप्त ककये िैं।
  • 5. महिला सशक्तिकरण • यूतनसेफ की ररपोर्ग के अनुसार ......... • भारत में दुतनया के ४० परसेंर् बाल वववाि िोते िै । • ४९ परसेंर् लडककयों का वववाि १८ वषग से कम आयु में िी िो जाता िै । • ललंर्भेद और अलशक्षा का ये सबसे बडा कारण िै । • राजस्थान ,बबिार ,मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश और प बंर्ाल में सबसे ख़राब जस्थतत िै । • यूतनसेफ के अनुसार राजस्थान में ८२ परसेंर् वववाि १८ साल से पिले िी िो जाते िै । • १९७८ में संसद द्बारा बाल वववाि तनवारण कानून पाररत ककया र्या । इसमे वववाि की आयु लडककयों के ललए कम से कम १८ साल और लडकों के ललए २१ साल तनधागररत ककया र्या । • भारत सरकार ने नेशनल प्लान फॉर र्चल्ड्रेन २००५ में २०१० तक बाल वववाि को पुरी तरि ख़त्म करने का • लक्ष्य रखा िै ।
  • 6. महिला सशक्तिकरण तनिःसंदेि आज की नारी की भूलमका में तीव्रता से पररवतगन िुआ िै। • नई सदी की नारी के पास कामयाबी के उच्चतम लशखर को छू ने की अपार क्षमता िै। • उसके पास अनर्र्नत अवसर भी िैं। जजंदर्ी जीने का जज्बा उसमें पैदा िो चुका िै। • दृढ़ इच्छाशजक्त एवं लशक्षा ने नारी मन को उच्च आकांक्षाएँ, सपनों के सप्तरंर् एवं अंतमगन की परतों को खोलने की नई राि दी िै। • पिले वि घर की रानी थी, कफर उत्तम कायों में संलग्न िोकर समाज कल्ड्याण में प्रवृत्त िुई और आज वि राजनीततज्ञों एवं प्रशासकों की सामाजजक भूलमका में उतरी िै। तथावप िम इस तथ्य से भली-भाँतत अवर्त िैं कक नारी की पारंपररक भूलमका का अततक्रमण िोना अभी शेष िै और कक उसके ववरुद्ध पूवागग्रि आज भी सदा की भाँतत प्रबल िैं।
  • 7. • अनुच्छेद 14,15 और 16 में देश के प्रत्येकनागररक को समानिा का अधिकार हदया र्या िै। समानता का मतलब, इसमें ककसी प्रकार का ललंर् भेद निीं िै । • समानिा , स्विन्त्रिा और न्त्याय का अधिकार महिला-पुरुष दोनों को समान रूप से हदया र्या िै। शारीररक और मानलसक तौर पर नर- नारी में ककसी प्रकार का भेदभाव असंवैधातनक माना र्या िै । • अनुच्छेद-15 में यि प्रावधान ककया र्या िै कक स्विंरिा -समानिा और न्त्याय के साथ -साथ के महिलाओं /लडककयों की सुरक्षा और संरक्षण का काम भी सरकार का कितव्य िै। • जैसे बििारमें लडककयों के ललए साइककल और पोषक की योजना , मध्यप्रदेश में लडककयों के ललए ‘ लाड़ली लक्ष्मी’ योजना , हदल्ड्ली में मेट्रो में महिलाओं के ललए ररजवत कोच की व्यवस्था आहद । समानिा , स्विन्त्रिा और न्त्याय का अधिकार
  • 8. 1917: एनी बेसेंर् भारतीय राष्ट्ट्रीय कांग्रेस की पिली अध्यक्ष महिला बनीं. 1925: सरोजजनी नायडू भारतीय मूल की पिली महिला थीं जो भारतीय राष्ट्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं. 1951: डेक्कन एयरवेज की प्रेम माथुर प्रथम भारतीय महिला व्यावसातयक पायलर् बनीं. 1966: इंहदरा र्ाँधी भारत की पिली महिला प्रधानमंत्री बनीं. 1972: ककरण बेदी भारतीय पुललस सेवा (इंडडयन पुललस सववगस) में भती िोने वाली पिली महिला थीं.[ 1997: कल्ड्पना चावला, भारत में जन्मी ऐसी प्रथम महिला थीं जो अंतररक्ष में र्यीं 2000: कणगम मल्ड्लेश्वरी ओललंवपक में पदक जीतने वाली पिली भारतीय महिला बनीं 2007: प्रततभा पाहर्ल भारत की प्रथम भारतीय महिला राष्ट्ट्रपतत बनीं. महिलाओं द्वारा िालसल उपलजधधयi
  • 9. महिला सशक्तिकरण • सामाजजक तौर पर महिलाओं को त्यार्, सिनशीलता व शमीलेपन का ताज पिनाया र्या िै, जजसके भार से दबी महिला कई बार जानकारी िोते िुए भी इन कानूनों का उपयोर् निीं कर पातीं तो बिुत के सों में महिलाओं को पता िी निीं िोता कक उनके साथ िो रिी घर्नाएं हिंसा िैं और इससे बचाव के ललए कोई कानून भी िै। • आमतौर पर शारीररक प्रताडना यानी मारपीर्, जान से मारना आहद को िी हिंसा माना जाता िै और इसके ललए ररपोर्ग भी दजग कराई जाती िै। इसके ललए भारतीय दंड संहिता की धारा 498 के तित ससुराल पक्ष के लोर्ों द्वारा की र्ई क्रू रता, जजसके अंतगर्त मारपीर् से लेकर कै द में रखना, खाना न देना व दिेज के ललए प्रताडडत करना आहद आता िै, के तित अपरार्धयों को 3 वषग तक की सजा दी जा सकती िै, पर शारीररक प्रताडना की तुलना में महिलाओं के साथ मानलसक प्रताडना के के स ज्यादा िोते िैं।
  • 10. महिला के खखलाफ हिंसा • एक आंकडे के मुताबबक भारत में िर तीन लमनर् पर महिला के खखलाफ हिंसा से संबंर्धत एक मामला दजग िोता िै. • िर हदन दिेज से संबंर्धत 50 मामले सामने आते िैं तथा • िर 29 वें लमनर् पर एक महिला के साथ बलात्कार िोता िै. • वैजश्वक स्तर पर िर 10 महिलाओं में एक महिला अपने जीवन में कभी न कभी शारीररक या यौन हिंसा का लशकार िोती िै. • महिला जिां घर में बाललका भ्रूण ित्या से लेकर ऑनर ककललंर्, दिेज हिंसा, पतत और पररवार के अन्य सदस्यों के बुरे बतागव तथा अन्य घरेलू हिंसा का लशकार िोती िै. • विीं घर की दिलीज के बािर भी उन्िें युवक द्वारा उनपर अम्ल फें के जाने, साइबर अपराध, एमएमएस, दफ्तर में छेडछाड जैसी कई तरि की हिंसा से दो चार िोना पडता िै.
  • 11. कन्या भ्रूण ित्या • लडका-लडकी में भेदभाव िमारे जीवनमूल्ड्य में आई खालमया को दशागता िै। • जनर्णना-2001 के अनुसार एक िजार बालकाेे में बाललकाओं की संख्या पंजाब में 798, िररयाणा में 819 और र्ुजरात में 883 िै, जो एक र्चंता का ववषय िै। • भारत में वपछले चार दशकों से सात साल से कम आयु के बच्चों के ललंर् अनुपात में लर्ातार र्र्रावर् आ रिी िै। • वषग 1981 में एक िजार बालकों पर ९६२ बाललकाएँ थी। वषग २००१ में यि अनुपात घर्कर ९२७ िो र्या। यि इस बात का संके त िै कक िमारी आर्थगक समृजध्द और लशक्षा के बढते स्तर का इस समस्या पर कोई प्रभाव निीं पड रिा िै। • भारत के सबसे समृध्द राज्यों पंजाब, िररयाणा, हदल्ड्ली और र्ुजरात में ललंर्ानुपात सबसे कम िै। २००१ की जनर्णना के अनुसार एक िजार बालकों पर बाललकाओं की संख्या पंजाब में 798, िररयाणा में 819 और र्ुजरात में 883 िै। • 1000 / 972 (प्रतत एक िजार (१०००) पुरुषों पर जस्त्रयों की संख्या)- जनर्णना, १९०१ • 1000 / 933 (प्रतत एक िजार (१०००) पुरुषों पर जस्त्रयों की संख्या)- जनर्णना, २००१
  • 12. जीने दो मुझे, मैं भी जजंदा िूँ क्या दोष मेरा ? िूँ मैं अंश तेरा ऐसे समाज पर, मैं बिुत शलमिंदा िूँ !! किलाती पराई सदा िी रिी जन्म लमला तो, मृत्यु सी पीर सिी िैवानो मुझ पर दया करो ना कु क्ष में कु चलो िया करो !! जीने दो मुझे
  • 13. बालवववाि • बालवववाि एक अपराध िै, इसकी रोकथाम के ललए समाज के प्रत्येक वर्ग को आर्े आना चाहिए । • तमाम प्रयासों के बाबजूद िमारे देश में बाल वववाि जैसी कु प्रथा का अंत निी िो पा रिा िै । • बाल वववाि का सबसे बडा कारण ललंर्भेद और अलशक्षा िै साथ िी लडककयों को कम रुतबा हदया जाना एवं उन्िें आर्थगक बोझ समझना । • क्या इसके पीछे आज भी अज्ञानता िी जजमेदार िै या कफर धालमगक, सामाजजक मान्यताएँ और रीतत-ररवाज िी इसका मुख्य कारण िै, कारण चािे कोई भी िो इसका खालमयाजा तो बच्चों को िी भुर्तना पडता िै ! • राजस्थान, बबिार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और प. बंर्ाल में सबसे ख़राब जस्थतत िै । • अभी िाल िी में आई यूतनसेफ की एक ररपोर्ग में यि खुलासा ककया र्या िै । ररपोर्ग के अनुसार देश में 47 फीसदी बाललकाओं की शादी 18 वषग से कम उम्र में कर दी जाती िै । • ररपोर्ग में यि भी बताया र्या िै कक 22 फीसदी बाललकाएं 18 वषग से पिले िी माँ बन जाती िैं ।
  • 14. • प्राय: देखा जा रिा िै कक घरेलू हिंसा के मामले हदनों-हदन बढ्ते जा रिे िैं। पररवार तथा समाज के संबंधों में व्याप्त ईष्ट्याग, द्वेष, अिंकार, अपमान तथा ववद्रोि घरेलू हिंसा के मुख्य कारण िैं। • घरेलू हिंसा की पररभाषा • पुललस - महिला, वृद्ध अथवा बच्चों के साथ िोने वाली ककसी भी तरि की हिंसा अपराध की श्रेणी में आती िै। • महिलाओं के प्रतत घलेलू हिंसा के अर्धकांश मामलों में दिेज प्रताडना तथा अकारण मारपीर् प्रमुख िैं। • राज्य महिला आयोर् - कोई भी महिला यहद पररवार के पुरूष द्वारा की र्ई मारपीर् अथवा अन्य प्रताड्ना से त्रस्त िै तो वि घरेलू हिंसा की लशकार किलाएर्ी। घरेलू हिंसा / ऑनर ककललंर्
  • 15. लशक्षा के मित्व • लशक्षा एक ऐसी चीज िै जो िर इंसान के ललए इस तरि मित्वपूणग िै जजस तरि ऑक्सीजन जीवन के ललए जरूरी िै. • लशक्षा के बबना मनुष्ट्य बबल्ड्कु ल जानवर की तरि िै यिी लशक्षा िै जो इंसान को बुद्र्ध और चेतना के धन से मालामाल करती िै और जीवन की िकीकतों से अवर्त कराती िै • कई लोर् अपने जीवन को ज्ञान की प्राजप्त के ललए तनछावर कर देते िैं और यिी वजि िै की सभी धमों में ज्ञान प्राप्त करने पर काफी जोर हदया र्या िै.
  • 16. लशक्षा के मित्व • र्ांधीजी ने महिलाओं की लशक्षा को पयागप्त मित्त्व हदया, ककन्तु वे जानते थे कक अके ले लशक्षा से िी राष्ट्ट्र तनधागररत लक्ष्य प्राप्त निीं ककये जा सकते। वे लसफग महिलाओं की िी निीं, पुरुषों की भी मुजक्त के ललए समुर्चत कायगवािी के पक्षधर थे। • उन्िोंने ललखा था ‘जरूरी यि िै कक लशक्षा प्रणाली को दुरुस्त ककया जाये और उसे व्यापक जनसमुदाय को ध्यान में रखकर तय ककया जाये। उनके अनुसार लशक्षा प्रणाली में बच्चों के साथ प्रौढ़ लशक्षा पर िी बल निीं हदया जा सके ।“
  • 18. • यत्र नायरुस्तु पूजयजन्त तत्र रमजन्त देवता’,